मप्र सरकार ने ड्रोन टेक्नोलॉजी का व्यापक उपयोग करने के लिए हाल ही में ड्रोन नीति जारी की है। ट्रेनिंग और मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े तमाम क्षेत्रों में काम करने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भोपाल स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) में स्थापित होगा। आईआईटी मुंबई, हैदराबाद और इंदौर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को इसमें शामिल करने की तैयारी है। साल 2025 में इस सेंटर को शुरू करने की योजना है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने ड्रोन नीति में मप्र को ड्रोन के उपयोग और टेक्नोलॉजी के बड़े हब के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। सरकार और निजी क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग को बढ़ाकर न केवल प्रशासन में टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाया जाएगा बल्कि रोजगार भी पैदा किए जाएंगे। रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए 2 करोड़ तक सहायता देकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का प्रावधान है। यहां ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग से लेकर ड्रोन इमेज प्रोसेसिंग, एआई और मशीन लर्निंग जैसी आधुनिक तकनीकों पर भी काम होगा। ड्रोन उड़ाना सीखने वालों के लिए 40 घंटे की ट्रेनिंग अनिवार्य होगी।
क्या होगा इस स्कूल में?
पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ मिलकर ड्रोन कंपोनेंट निर्माण, डाटा एनालिटिक्स, एआई टूल जैसे क्षेत्रों के लिए पाठ्यक्रम बनेंगे। इंडस्ट्री के साथ मिलकर ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग, संचालन और रिपेयरिंग के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम बनेंगे। ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग के लिए फ्लाइट सिम्युलेटर, रिपेयर वर्कशॉप और फ्लाइंग जोन बनेंगे। कृषि, निगरानी और मैपिंग जैसे सेक्टर के लिए एप्लीकेशन विकसित किए जाएंगे। निजी क्षेत्र के साथ मिलकर आर एंड डी और टेस्टिंग पर भी काम होगा। सरकारी विभागों को बुलाकर ड्रोन नवाचार, नियम और नई तकनीकों पर कार्यक्रम होंगे।
बड़े तकनीकी संस्थानों से बात
समाज कल्याण में उपयोग आइसर भोपाल, ऊर्जा से लेकर टेक्नोलॉजी और मेडिसिन के क्षेत्र में देश का एक बड़ा इंस्टिट्यूट है। आईआईटी इंदौर, मुंबई और एम्स जैसे संस्थानों से मदद लेकर हमारी कोशिश होगी कि ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग समाज के कल्याण में हो सके। अन्य बड़े तकनीकी संस्थानों से भी मदद ली जाएगी। गोबर्धन दास, डायरेक्टर - आइसर, भोपाल
इसी साल शुरू करेंगे आइसर भोपाल में ड्रोन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जाएगा। फ्लाइंग ट्रेनिंग, मोटर मैन्युफैक्चरिंग, नैविगेशन सहित कई क्षेत्रों में काम होगा। आईआईटी कानपुर, हैदराबाद, इंदौर जैसे संस्थानों से बात शुरू हो चुकी है। इसी साल यह सेंटर शुरू करने की योजना है। संजय दुबे, एसीएस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी