कहते हैं कि पढ़ाई-लिखाई में ध्यान लगाओ, सोशल मीडिया से रहो दूर, मगर इस धारणा को गलत साबित किया है भोपाल की मुस्कान खान ने। एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली 25 वर्षीय मुस्कान का चयन भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर (टेक्निकल ब्रांच) के तौर पर हुआ है।
बुधवार, 18 दिसंबर को वायुसेना के नतीजे घोषित किए गए। शहर की सिद्धार्थ लेक सिटी कॉलोनी में रहने वाली मुस्कान के पिता एम.एच. खान जवाहर नवोदय विद्यालय के रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं।
मुस्कान ने बताया कि सब कुछ आप पर निर्भर करता है। यदि आप पढ़ाई कर रहे हैं और आपका अपने ऊपर कंट्रोल है, तो आपको कुछ भी भ्रमित नहीं कर सकता।
वो कहती हैं "मैंने सोशल मीडिया पर बहुत सारे ऐसे पेज फॉलो किए थे, जहां डिफेंस की तैयारी को लेकर अच्छा कंटेंट उपलब्ध है। मैंने इन्हीं पेजों को अपनी इंस्पिरेशन बनाया। वहीं, यूट्यूब पर "सीडीएस जर्नी" नामक एक चैनल है, जिसकी फ्री क्लासेस मुझे बहुत मददगार लगीं। इसके अलावा, जीके से संबंधित कंटेंट के लिए मैं "स्टडी आईक्यू" से पढ़ती थी, जहां मॉक टेस्ट भी उपलब्ध होते हैं।"
भाई के चयन के बाद मिली इंस्पिरेशन
मुस्कान बताती हैं कि उनके भाई का कुछ साल पहले भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर चयन हुआ था। उसी समय से उन्होंने भी भारतीय वायुसेना में जाने का सपना देखा। मुस्कान के भाई ने बी.टेक किया है, और वे उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं।
मुस्कान के पिता एम.एच. खान बताते हैं कि 2016 में मुस्कान ने 12वीं की परीक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय से पास की थी। इसके बाद उन्होंने बी.टेक (कंप्यूटर साइंस) श्री वैष्णो विश्वविद्यालय, इंदौर से किया।
मुस्कान ने लोगों से अपील की है कि वे अपनी बेटियों को बेहतर शिक्षा दें, खासकर अल्पसंख्यक पेरेंट्स। मुस्कान के मुताबिक, अगर बेटियों पर भरोसा किया जाए, तो वे हर वह काम कर सकती हैं, जो बेटे कर सकते हैं।
फैमिली का सपोर्ट बहुत जरूरी
मुस्कान बताती हैं कि इस तरह की तैयारी के लिए फैमिली का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है। वे कहती हैं, "जहां एक तरफ मेरी मां का इमोशनल सपोर्ट था, वहीं दूसरी तरफ भाई का हर छोटी-छोटी चीज़ों में मदद करना मेरे लिए बेहद अहम था। इसके अलावा, पापा भी मेरी तैयारी और बाकी चीजों में बहुत हेल्प करते रहे।"
बता दें कि मुस्कान 1 साल 5 महीने की ट्रेनिंग के बाद फ्लाइंग ऑफिसर की रैंक पर पहुंचेंगी।
कंसिस्टेंसी से बनाई जगह
मुस्कान कहती हैं कि अगर आपके अंदर कंसिस्टेंसी (निरंतरता) है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं। आमतौर पर लोग असफलता के बाद पीछे हट जाते हैं और कुछ नया करने की सोचने लगते हैं। मगर ऐसा नहीं करना चाहिए।
वो कहती हैं "हमेशा अपनी पुरानी गलतियों से सीखना चाहिए और आगे बेहतर परफॉर्म करना चाहिए। क्योंकि अगली बार आप पहले से बेहतर करते हैं। मुस्कान ने बताया कि उन्होंने खुद तीसरे प्रयास में एसएसबी क्लियर किया।