इन्हें वन विहार के क्वारंटाइन में रखा गया है, जहां इनकी देखभाल की जाएगी। करीब आठ से 10 दिन तक देखभाल के दौरान उन्हें नए रहवास के अनुसार ढाला जाएगा। उसके बाद उन्हें सैलानियों को देखने के लिए खुले बाड़े में लाया जाएगा। इन शेरों के लिए वन विभाग 2006 से ही गुजरात सरकार से बातचीत कर रहा था।
गुजरात यहां के बाघों के बदले उम्रदराज शेरों का जोड़ा दे रहा था। प्रदेश के अधिकारियों को इस पर आपत्ति थी। वन विभाग के इन्कार के बाद यह योजना रुक सी गई थी। लंबी बातचीत के बाद गुजरात का वन विभाग तीन साल (उम्र) के शेरों का जोड़ा देने को तैयार हुआ।
इस जोड़े के बदले में वन विहार ने गुजरात को एक नर बाघ (बांधवगढ़-2) और एक मादा बाघ (बंधनी) दिए हैं। दोनों बाघ लगभग छह साल के हैं। यह आदान-प्रदान केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण नई दिल्ली की अनुमति से किया गया है।
वन विहार में एक नर और दो मादा शेर पहले से हैं। सत्या, गंगा और नंदी नाम के शेरों के साथ इस नए जोड़े को मिलाकर अब शेरों की संख्या पांच हो जाएगी। यह वन विहार के लिए बड़ा आकर्षण होगा। जू-प्रबंधन को उम्मीद है कि इससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।